nirmal-varma

मेरे लिए निर्मल – उषा प्रियंवदा

हमें एक दूसरे के अकेलेपन के बारे में कुछ कहने की आवश्यकता नहीं थी, ठंडे प्रदेश में अकेले होने का अनुभव एक संवेदनशील प्राणी में अलग ही होता है। मेरी पुरानी आदत बन गई थी, एक, अपने को स्त्री और दूसरे को पुरुष समझकर कोई अन्य भाव नहीं आने दिया। मैंने स्त्री होते हुए, साड़ी पहनते हुए भी, यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हुए अपने अन्य प्रोफेसर से भी वही एक सा होने का भाव रखा।